Vishyukt Bhojan – महाबली भीमसेन पवन पुत्र थे। इस कारण वे श्री राम भक्त व हनुमान जी के छोटे भाई थे। जिस समय ये उत्पन्न हुए तो कुन्ती इनका भार सहन ना कर सकी और भीमसेन कुन्ती के हाथ से छूट कर पत्थर पर जा गिरे। कहते हैं उस समय इनके गिरने से पत्थर टूट गया था। बचपन से ही इनके भीतर छिपी अद्भुत शक्ति का परिचय मिलने लगा था।
इनके बल कौशल को देख दुर्योधन इनसे ईष्र्या करता था। महाबली भीमसेन को खीर बहुत पसन्द थी और से बचपन से ही कई मनुष्य का भोजन अकेले खा लिया करते थे। भोजन इनकी कमजोरी है, इस बात को दुर्योधन जानता था। एक दिन वह जल-विहार करने के बहाने भीम को गंगा नदी के किनारे ले गया। वहां दुर्योधन ने इन्हें धोखे में विषयुक्त भोजन खिला दिया।
विषाक्त भोजन के प्रभाव से ये जल-क्रीड़ा करते हुए अचेत हो गये ।तब दुर्योधन ने इनके हाथ पैर बांध कर गंगा के भीषण प्रवाह में धकेल दिया। गंगा के अथाह जल में डूबते भीम नाग लोक के सर्पो के ऊपर आ गिरे। सर्प उनसे लिपटकर काटने लगे, जिससे उनके द्वारा खाया हुआ विष स्वंय ही नष्ट हो गया। इससे भीम को चेतना आ गई।
तभी, वहां श्री कृष्ण के दादा शूरसेन के नाना आर्यक नामक सर्पराज आ पहुंचे। उन्होंने भीमसेन को हजारों हाथियों का बल प्रदान करने वाले कुण्ड का रस पिलाकर बलिष्ठ कर दिया। इस तरह नागों को प्रसन्नता प्राप्त कर भीम अपनी माता के पास लौट आये और दुर्योधन के कुकर्मो की बात बताकर नागलोक का पूर्ण वृतान्त कहा। आने वाले समय में भीम के यही बल कौरवों के विनाश के कारणों में से एक बना।
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