Sad Ghazals in Hindi – सुपरहिट गम भरी ग़ज़ल
Sad Ghazals in Hindi
दिल को सुकून देने के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प है Sad Ghazals in Hindi। इस पोस्ट में कुछ Old Sad Ghazals in Hindi का कलेक्शन हम आपके लिए लेकर आये है। आशा करते हैं की आपको पसंद आएंगी।
ऑंखें धुंआ – Sad Ghazal
ऑंखें धुंआ मंज़र धोखा
सब सिलसिले अक्सर धोखा ||
कच्चे मकां बोले वजूद
अन्दर खाली बाहर धोखा ||
जाएं कहां पहुंचे किधर
अंधी डगर रहबर धोखा ||
मिट्टी पेड़ ख़ुश्बू भंवर
सारे निडर देह भी धोखा ||
कैसा सुकूं लगातार जुनूं
लम्हे दर्द साग़र धोखा ||
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उन्हें पत्थर उठाने की – Sad Ghazal Heart Touching
उन्हें पत्थर उठाने की आदत वही है
हमे सिर उठाने की आदत वही है।।
सितमगर, सितम कर, चला दिल पे ख़ंजर
हमे ज़ख़्म खाने की आदत वही है।।
नहीं डर की दिल पर रहेगा न क़ाबू
इसे टूट जाने की आदत वही है।।
गिले-शिकवे होंठों पे आते भी कैसे
हमें चुप लगाने की आदत वही है।।
हमें आ गया संभल कर भी चलना
मगर लड़खड़ाने की आदत वही है।।
ग़मों का ये बोझ अब बड़े भी तो क्या ग़म
हमें मुस्कुराने की आदत वही है।।
अभी तक बुरे हैं भले लोग बेशक़
हमारे ज़माने की आदत वही है।।
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यों ही हम पर – Ghazal Hindi Sad
यों ही हम पर सबके एहसां है बहुत
क्यों कहें कि हम परेशां है बहुत।।
आँख में रख ले ये मंजर फिर कहां
राह में तेरी बयाबां है बहुत।।
याद रखना भी कोई मुश्किल नहीं
भूल जाने के भी इंतेहा हैं बहुत।।
मौत तो आनी है आएगी मगर
और भी जीने में नुक़्सान है बहुत।।
फिर ग़ज़ल कहनी है हमने और मैं
ताश के पत्तों में उलझा हैं बहुत।।
आदमी अच्छे हैं इसमें शक़ नहीं
हां, मगर दिल में अरमां हैं बहुत।।
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ज़ख़्म मत पूछिए – Gam Bhari Ghazal
ज़ख़्म मत पूछिए, हैं दिल में हमारे कितने
कौन गिनता है फ़लक पर हैं सितारे कितने।।
रोक लेते हैं हर इक गाम पे काटों की तरह,
मेहरबां हम पे हैं हमदर्द हमारे कितने।।
दिल वो दरिया है अगर बढ़ के समंदर हो जाए,
दूर हो जाएं किनारो से किनारे कितने।।
रात तो काट दी आँखों में चरागों ने मगर,
बेख़बर हो गए फिर नींद के मारे कितने।।
ख़ुद को अच्छा न कहो इतना बता दो यारो !
इस भरे शहर में दुश्मन हैं तुम्हारे कितने।।
दिल तो फिर दिल है कहीं चोट जो लग जाती है,
पथरों से भी निकलते हैं शरारे कितने।।
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मैं समंदर से तो – Sad ghazal in hindi
मैं समंदर से तो इक बूंद न पानी मांगू।
हां, मगर दशत से दरिया की रवानी मांगू।।
इक तरफ़ जुर्म समझता हूँ जमा करना।
इक तरफ़ बासमती साल पुरानी मांगू।।
देख कर रंगे-इंद्रधनुष ख़ौफ़ज़दा हो जाऊं।
और फिर रह न सकूं शमा सुहानी मांगू।।
फिर मेरे सामने हालात हैं कब्र जैसे।
प्यास पी जाऊं कि दरियाओं से पानी मांगू।।
रेगिस्तान में कोई शख़्स कहां डूब गया।
फिर से आए वही तूफ़ां तो निशानी मांगू।।
इस कबीले के सभी लोग हैं सांपो जैसे।
जहर पीने को मिले जिससे भी पानी मांगू।।
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उनके ज़ुल्मों को मैं – Dukhi Ghazal
उनके ज़ुल्मों को मैं आईना बना भी आया
दिल का हर दाग़ ज़माने को दिखा भी आया।।
उसकी महफ़िल से उठाने का नतीजा ये हुआ,
याद करता था जिसे उसको भुला भी आया।।
दिल यहां पर मेरा टूटा था निशानी के लिए ,
चन्द आंसू उनके दर पे गिरा भी आया।।
तूने कुछ ग़म के आंसू तो मुझे बख्शे थे ,
मैं वो सरमाया ज़माने में लुटा भी आया।।
मेरे चाहने वाले मेरे फ़न की तमन्ना न करो ,
मैं तो ख़्वाबों की इमारत को जला भी आया।।
मैं छुपाता ही रहा उनसे हक़ीक़त दिल की ,
कोई दुश्मन मेरा हाल सुना भी आया।।
मुस्कुराए वो मुझे देख के इस कदर ,
उनके दिल में इक दर्द मैं जगा भी आया।।
बीच मंझधार- Sad Ghazals Hindi
बीच मंझधार बह रहा हूँ मैं।
तैरता हूँ कि डूबता हूँ मैं।।
वक़्त थम सा गया है इन लम्हों में।
अब तो सो जाऊं थक गया हूँ मैं।।
अपने दिल कि उदासियों में तुझे।
बन के दीवाना देखता हूँ मैं।।
चाँद छुप-छुप के देखता है मुझे।
चाँद को छुप के देखता हूँ मैं।।
काली रात, आंधी और तूफ़ान।
यूँ लगा जैसे मर गया हूँ मैं।।
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जब भी मौसम उजालो के – Very Sad Ghazal
जब भी मौसम उजालो के ढलने लगे
साये भी अपने तेवर बदलने लगे ||
सरफिरों के दिलों में तसल्ली हुयी
जब मकान हम गरीबो के जलने लगें ||
छू तो लेता बुलंदी को मैं भी मगर
ख्वाब मेरे ज़माने को खेलने लगें ||
देर बस आशिया बनाने की थी
कितने हाथों में पत्थर मचलने लगे ||
बेजरूरी गरज बढ़ गयी यूँ की अब
कैसे-कैसे कदम भी फिसलने लगे ||
कातिलों को जो देखा जरा गौर से
जाने पहचाने चेहरे निकलने लगे ||
हल ये हो रहा है परेशां यहाँ
बांगवा ही गुलों को मसलने लगे ||
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चलती है चमन में – Sad Ghazal Hindi
चलती है चमन में, ये कैसी हवायें
जिधर देखिये, है उधर गम के साये ||
शिकायत चुभन की, करें किसलिए हम
ये कांटें हमीं ने, यहाँ पर बिछाएं ||
ज़मीं आसमां भी परेशां हुए है
करम आदमी के जो तबाही है लाएं ||
सदा खामियां हमने देखी सभी में
मगर दाग अपने नजर ही ना आये ||
ज़ख़्म खुद हमारे दवा बन गए हैं
अभी इनपे कोई ना मरहम लगाए ||
हंसी चाहते है सभी हमसे लेकिन
अश्क ये हमारे किसे हम दिखाएं ||
कहे क्या किसी से दर्द के फ़साने
जिसे भी मिले हम वो अपनी सुनाये ||
जो अपनी हिफाजत ना खुद कर सकें तो
उन्हें कोई कैसे किसी से बचाये ||
ना दिल को लगाना किसी से कभी तुम
ये वो शय है यारों जो हर दम रुलाये ||
फकीरी भी कैसी ख़ुशी दे सकेगी
कहो तो ऐ दुनिया तुम्हे भी बताये ||
दिल में झाँका तो – Best Sad Ghazal
दिल में झाँका तो क्या – क्या खजाने मिलें
रौशनी के पत्ते ओर ठिकाने मिलें ||
राह हर मोड़ पर उनकी देखी मगर
उनके ना आने के सौ बहाने मिलें ||
कश्ती अपनी सँवारी थी जैसे ही मैंने
हाथ कितने ही मुझको डुबाते मिलें ||
ना फैले बू शहर में इसी खौफ से
लाश को लोग उसके उठाते मिलें ||
नग्मे मेरे अगर गौर से तुम सुनो
इनमे शायद तुम्हारे फ़साने मिलें ||
क़त्ल में तेरे शामिल दुनिया में यहाँ
यार कितने ही तेरे पुराने मिलें ||
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आपकी याद फिर – Best Sad Ghazal in Hindi
आपकी याद फिर आज आने लगीं
आँख फिर आंसुओ को छुपाने लगीं ||
आपका नाम लेकर हमेशा यहाँ
महल अपने ये दुनिया बनाने लगीं ||
मुफलिसी का यहाँ आज ये हाल है
जो है ओढ़ा उसी को बिछाने लगीं ||
हम फकीरों का जाने मुक्कद्दर है क्या
हर कदम मुश्किलें सर उठाने लगीं ||
आसमान कुछ करें तो कुछ मुमकिन हो
ये ज़मीं हाथ खाली दिखने लगीं ||
तब दिलों से आकर लगे पूछने
साँस जब उससे दामन छुड़ाने लगीं ||
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रास आयी किसे – Ghamgeen Ghazal
रास आयी किसे ज़िन्दगी ये कभी
रंजो गम से घिरे हैं सभी के सभी ||
रो रही मुफलिसी अपनी तकदीर पे
ज़ुल्मतों कि सियाही कहर ढहा रही ||
शान से फिर रहे हैं दरिंदे यहाँ
कुछ ना कर पा रहा है मगर आदमी ||
रहनुमा ही तो लूटते रहे है हमें
आंख लेकिन हमारी कभी ना खुलीं ||
हो भी जाये किसी की अगर मौत भी
है किसे वक़्त जो देख ले दो घड़ी ||
ऐ खुदा ये नजारा जरा देख जा
जी रहा आदमी मर कर आदमी ||
गैरते मर गयीं है दुनिया में यहाँ
हर तरफ बेकली , बेकसी , बेबसी ||
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बेवफाई करे ज़िन्दगी – Hindi Sad Ghazal
बेवफाई करे ज़िन्दगी ही अगर
क्यों उम्मीद किसी हम रखे मगर ||
वफ़ा की आरज़ू क्या मैं उनसे करूँ
वो भी समझे खिलौना जो दिल को अगर ||
किसलिए पूछते हो पता तुम मेरा
रंजो – गम से घिरा जी वही मेरा घर ||
किस खता की सजा ये मुझे मिल रही
ज़िन्दगी क्यों हुयी इस कदर दर-बदर ||
आंसुओं के सहारे है चलना मुझे
हो मुबारक तुम्हे ये सुहाना सफर ||
दर्द मेरा ना जाना किसी ने कभी
चाह सबको ही मुझसे वफ़ा की मगर ||
ज़ख्म दिल को मिलें है हमेशा मुझे
और दे भी सके क्या मुझे ये शहर ||
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रोज जीता हूँ – Ghazal Hindi Sad
रोज जीता हूँ रोज मरता हूँ
लाश अपनी उठाये फिरता हूँ ||
और क्या चाह ज़िन्दगी से हो
अश्क पीता हूँ गुजर करता हूँ ||
क्यों उम्मीदे-वफ़ा मुझी से है
साथ मै भी रहा करता हूँ ||
जानता हूँ की वो ना आएगा
फिर भी क्यों इंतज़ार करता हूँ ||
दौर यूँ चल रहा ज़िन्दगी का अब
सच को सच कहने से भी डरता हूँ ||
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आ जरा आज – Sad Love Ghazal
आ जरा आज मुझ को पिला दे
कुछ तो उल्फत का आकर सिला दे ||
खेल होगा तुम्हारा ये लेकिन
तेरी जुदाई ना मुझको जला दे ||
दिलनशी हो मगर क्या करुँ मै
वो नहीं तू की वादा निभा दे ||
बेखुदी में कहीं मर ना जायूँ
होश की अब तो कोई दवा दे ||
गैर बन कर रहूं क्यों मै दिल में
इसलिए नाम अब मेरा मिटा दे ||
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दिल किसी से लगाकर – Full Sad Ghazal
दिल किसी से लगाकर करोगे भी क्या
चैन अपना लुटा कर करोगे भी क्या ||
ज़िन्दगी भर यूँ ही तरसते रहो
सपने ऐसे सजा कर करोगे भी क्या ||
दर्द उनको कहे जो समझ भी सकें
बेदिलों को सुनकर करोगे भी क्या ||
कर रहे है बहाना वो अगर नींद का
यारों उन् कर जागकर करोगे भी क्या ||
अंधेरों में जिनको ख़ुशी मिल रही
उनको सूरज दिखाकर करोगे भी क्या ||
हर तरफ आग है जान लो साथियों
आप दमन बचाकर करोगे भी क्या ||
जिसको सुनकर जमाना ये हसतां रहे
दास्ताँ वो सुनकर करोगे भी क्या ||
आजमाओ उन्हें जो कहर ढा रहे
गरीबों को मिटाकर करोगे भी क्या ||
कुछ नहीं तो हमसे बस ये सीख लो
नजर यूँ ही झुकाकर करोगे भी क्या ||
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नजर हर नजर से – Hindi Ghazal Sad
नजर हर नजर से मिलाता रहां हूँ
हर किसी को अपना बनाता रहां हूँ ||
नया ज़ख्म जब भी उजागर हुआ
ज़ख्म हर पुराना मिटाता रहां हूँ ||
अँधेरा कहर जब भी ढाता रहा है
उजाला जहाँ को दिखाता रहां हूँ ||
खिजाओ ने कितनी ही कोशिश की
ये गुलशन मैं फिर भी सजाता रहां हूँ ||
वक़्त ने की कितनी जफ़ाएं मगर मैं
वक़्त से भी हरदम निभाता रहां हूँ ||
सहारा किसी से ना माँगा कभी भी
मुकाम अपना मैं खुद ही बनाता रहां हूँ ||
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छेड़ कर सजे दिल – Ghazal Hindi Sad
छेड़ कर साजे दिल तुमने क्या कर दिया
ज़ख्म दिल का मेरे फिर हरा कर दिया ||
हाल अपना सुनाऊ तुझे क्या सनम
फिर कहेगा तू की मैंने गिला कर दिया ||
शाख रोती रही गुल सिसकता रहा
फिर भी किस्मत ने उनको जुदा कर दिया ||
क़त्ल को मेरे कहने लगे ख़ुदकुशी
और कातिल को मेरे रिहा कर दिया ||
खाक कर के हमदम तुझे यार ने
आज हक़ दोस्ती का अदा कर दिया ||
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अरमानो भरी रात – Gam Bhare Ghazal
अरमानो भरी रात दर्दे-ज़िन्दगी बनी
वो पहली मुलाकात दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
जिनका था मैं सहारा वही ज़ख्म दे गए
सावन की ये बरसात दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
शर्मा हया के मारे जुबां कुछ ना कह सकी
बस यही एक बात दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
निखरा था रंगे – हिना मेरे कहने जिगर से
मेहँदी लगे वो हाथ दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
खनकते कंगना और सखिओं के कहकहे
पायल को वो आवाज़ दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
शहनाइयों की गूंज में वो अलविदा हुए
जाती हुयी बारात दर्दे-ज़िन्दगी बनी ||
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दिल को दुखी यूँ – Sad Ghazal Hindi
दिल को दुखी यूँ भी ना करना कभी
खुद को बरबाद यूँ भी ना करना कभी ||
मेरी तकदीर में है सियाही लिखी
मुझको तुम याद यूँ भी ना करना कभी ||
आंसुओं के सिवा कुछ ना दे पायूँगा
मुझ से फरियाद यूँ भी ना करना कभी ||
मर ना जायूँ कहीं मैं गमो से सनम
मुझ को आवाद यूँ भी ना करना कभी ||
मौत तक तुम मेरी कुछ तो रखो
अश्क बर्वाद यूँ भी ना करना कभी ||
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छोड़ जाने लगा मैं – Best sad ghazal in hindi
छोड़ जाने लगा मैं सदा के लिए
बोले, रुकते ज़रा सा खुदा के लिए ||
हाले – दिल जो बयां कर दिया तो कहा
क्या सजा दूँ तुम्हे इस खता के लिए ||
बावफ़ा वो ना हो ये अलग बात है
पर तकाजा है मुझसे वफ़ा के लिए ||
कौन जाने की आएगी किस राह से
चाहिये एक बहाना क़ज़ा के लिए ||
आरज़ू – ए – बफा ना इशारा करो
गैर भी अब रहोगे सदा के लिए ||
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दर्द पहलू में – Hindi Ghazal Sad
दर्द पहलू में पलता रहा रात भर
तेरी खातिर मैं जलता रहा रात भर ||
आंसुओं में डुबाकर जो तुम चल दिए
बेखुदी में मै चलता रहा रात भर ||
शाम से ही उदासी थी छायी हुयी
गम तुम्हारा सताता रहा रात भर ||
खुश्क थी आंख दिल रो रहा था मगर
अश्क अपने छुपाता रहा रात भर ||
ख्वाब जिसके हमने देखे सदा
चाँद वो भी जलाता रहा रात भर ||
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मेरी खातिर परेशां – Sad Ghazal
मेरी खातिर परेशां ना होना कभी
काट ही जाएगी मर-मर के ये ज़िन्दगी ||
थी सुहानी सहर सामने तो मगर
मेरी तकदीर में थी सियाही लिखी ||
याद में तेरी कट जायेगा ये सफर
साथ चाहे मिला हो घड़ी दो घड़ी ||
पूछता है अगर तो बता दूँ तुझे
हाल है ठीक सांसें अभी चल रहीं ||
मौत का तू हमारी मातम ना कर
यह तो अच्छा हुआ एक बला टल गयी ||
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वादे पे तेरे – Sad Ghazal in Hindi
वादे पे तेरे, मैं लुट चुका हूँ
और कह रहा, तू भुला भी दे ||
उठा ये खंजर, लगा निशाना
क्या सोचता है, चला भी दे ||
तू ख्वाब मेरा, तू ही हकीकत
तू ही जमाना, तू ही तो जन्नत ||
जरा नजर से, तू पूछ अपनी
और हूँ मैं क्या, ये बता भी दे ||
बहुत हुआ छुपते- छुपाते मिलना
अब आकर मिले, हम जरा सा खुलके
यूँ भी ज़माने का डर ना कर तू
अब आ के परदा उठा भी दे ||
अगर नजर में हो रहा ही तारा
तो राशि की तरह उसको रख
अगर आंसू समझा है उसको तूने
तो फिर नजर से गिरा भी दे ||
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जब से देखा तुझे – Sad Ghazal Hindi
जब से देखा तुझे जाने क्या हो गया
दिल ये मेरा ना जाने खाना खो गया ||
तड़प मेरी ना देखी गयी जिस घड़ी
आसमां भी मेरे हाल पर रो गया ||
तू ना समझा कभी मेरे दिल की लगी
आरज़ू में तेरी मैं फ़ना हो गया ||
अब पुकारो भी मुझको तो क्या फायदा
मौत की नींद जब यार मैं सो गया ||
रोक लेता अगर तू जरा प्यार से
तो ना जाता कभी मैं अभी जो गया ||
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तुमने आने में – Sad Ghazals Heart Touching
तुमने आने में आखिर बड़ी देर की
हम तो कह कर चले थे भरोसा नहीं ||
साँस लेने लगी थी इजाजत मगर
रहगुजर पर नजर थी लगी की लगी ||
सज संवर कर ही आना जरुरी ना था
समझते भी नजाकत कभी वक़्त की ||
याद करते हुए तुम को छोड़ा है दम
ऐसी उल्फत ना देखी थी हमने कभी ||
वक्ते-रुखसत बस हम ये कहते रहे
आरज़ू उन्हें देखने की रह गयी ||
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छलती है तेरी याद – Sad Ghazals Heart Touching
छलती है तेरी याद आ आ कर
क्या बैर है मुझसे खुदा जाने ||
लिपटी रहती है आठों पहर
क्या प्यार है मुझसे खुदा जाने ||
मिलना चाहे तो मिल न सके
मिलने की कोई सूरत ही नहीं ||
मजबूर हो तुम मजबूर हूँ मैं
मर जाये ना हम ऐसे में कहीं ||
मालूम तो अंजाम मगर
क्यों प्यार है तुझसे खुदा जाने ||
और याद ना करना मुझको सनम
जो करना है एक दुआ ये करो ||
मिल जाये हमें एक और जनम
ये दूरी और ये मजबूरी
कहीं जान ही ना ले ले खुदा जाने ||
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जिसे हमने समझा – Superhit Sad Ghazal
जिसे हमने समझा चमन का सहारा
लुटा है उसी ने हर एक नजारा ||
बड़ी आरज़ू थी ख़ुशी का बसर हो
गुलों के लबों पर हसी की लहर हो ||
लुटेरे की लेकिन अलग ही नजर थी
लूटा कारवां ये किया बेसहरा ||
सभी साथ मिल के लुटेरों से लड़ के
इरादों को इसके नाकाम करके ||
ना आबाद अगर ये चमन तुम करोगे
तो कैसे करोगे यहाँ पर गुजारा ||
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जान कहर – Sad Hindi Ghazal
जान कहर वक़्त का बरसेगा
तू मौत को अपनी तरसेगा ||
पर मौत तुझे ना आएगी
हर साँस तुझे तड़पायेगी ||
और रूह तेरी घबराएगी
ज़िन्दगी चैन ना पायेगी ||
हर घडी बोझ बन जयेगी
तू उठा भी किसको ना पाएगा ||
सायें से भी घबराएगा
अपने कर्मो पर पछतायेगा ||
चीखेगा और चिल्लायेगा
जब मस्त घटाएं छाएंगी
और प्यार की बारिश आएगी
उम्र प्यासी तेरी रह जाएगी
रूह जलती ही रह जाएगी
मरने की तुझको ख्वाइश होगी
पर मौत तुझे ना आएगी ||
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सबब रूठने का – Sad Ghazal
सबब रूठने का बता कर तो जाते
हमें भी जरा आजमा कर तो जाते ||
फ़ज़ाओं ने पूछा कई बार तुमको
झलक बस जरा सी दिखा कर तो जाते ||
मुस्कुरा रहीं थी चमन में बहारें
मोहब्बत के नगमे सुना कर तो जाते ||
दिया दर्दे दिल कोई शिकवा नहीं है
पता अस्पताल का बता कर तो जाते ||
अगर बेसबब थी हमारी शिकायत
जरा आंख हमसे मिला कर तो जाते ||
जरा ओर रुकते तो होती इनायत
जनाजा हमारा उठा कर तो जाते ||
मिटा ही दिया जब हमको ही तुमने
तो उसकी चिता भी जलाकर तो जाते ||
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