Sanskar Poem In Hindi | भारतीय संस्कार पर कविता
जैसे जैसे अधिनिक दुनिया के तरफ आज कल के बच्चे जाते जा रहे हैं , उनमे संस्कार का अभाब होता जा रहा हैं। भारत के संस्कारों को दर्शाती ये कविता जिसका शीर्षक हैं Sanskar Poem In Hindi
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी
सब के मुँह पर सन 47 में बस यही कहानी थी ||
घर – घर सुनाई देते थे, आजादी के तराने
लेकिन अब गूंजते है हर गली में
बॉलीवुड फिल्मो के गाने ||
अगर समय से नहीं दिए बच्चो को संस्कार
तो स्वतंत्रता दिवस पर भी
गायेगा बच्चा ऐसे ही गाने यार ||
पूरी की पूरी पीड़ी भूल जाएगी
गाथा झाँसी की रानी की
बात होगी केवल , माई नाम इस शीला
और शीला की जवानी की ||
आधुनिक बनने का ये अर्थ नहीं है यार
दारू सिगरेट पिए हम और आधे नंगे रहे यार
अगर तुम करते हो सच में अपने वतन से प्यार ||
तो अवश्य बताना उनको सावित्री
और भगत सिंह के बारे में यार ||
भले ही तुम्हे कोई सांप्रदायिक कहकर पुकारे
परन्तु बच्चो को चाणक्य नीति
कृष्णा – सुदामा की प्रीति ||
रामचंद्र जी की धीरता
गुरु गोविन्द सिंह जी की वीरता ||
पन्ना धाय का त्याग , महात्मा बुद्ध का वैराग
वीर शिवा की कहानी , गुरु नानक की वाणी ||
इनके बारे में अवश्य बताना प्यारे
चाहे तुम्हे कोई बैकवर्ड केहलर पुकारे ||
निश्चित रूप ये संक्रमण काल है
घर और स्कूलों में संस्कारों का अकाल है ||
जो लोग अपने बच्चो को संस्कार देना भूल जाते हैं
वे दर – दर की ठोकरें कहते हैं ||
अब भी समय हैं चेत जाओ
अपनी संस्कृति और इतिहास से बच्चो को रूबरू करवाओ ||
लाख टके की बात हैं
अगर गांधी जी की माँ ने बचपन में
उन्हें सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र
और श्रवण कुमार के बारे में ना बताया होता ||
तो कसम भगवान की
गाँधी महात्मा ना बनता
राष्ट्र पिता ना कहलाता
गाँधी – गाँधी ना होता
गाँधी – गाँधी ना होता
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