Prem Viyog Par Kavita in Hindi – प्रेम वियोग कविता हिंदी
प्रेम वियोग कविता हिंदी – प्रेम विरह कविता हिंदी
प्रेम की वजह से मन में चल रहे विध्वंस को दर्शाती एक कविता हम आपके लिए लेकर आये हैं। उम्मीद है आपको पसंद आएगी। कृपया पढ़े Prem Viyog par Kavita in Hindi
खेल ही खेल में मर न जाऊँ कहीं
इस कदर तुम मुझे देखना छोड़ दो
मैं मुकद्दर तुम्हारा हो सकता नहीं
तुम मेरे बारे में सोचना छोड़ दो ||
तुम हंसी नाजनी, गुलबदन , जानेमन
तुम को सजदा करें तारो का अंजुमन
आईने से जरा पूछ लेना कभी
हुस्न का तेरे कोई सानी हो सकता नहीं ||
फूल गुलशन के सारे परेशान हैं
ये सितारे नज़ारे , परेशान हैं
पर करम तुम सनम मुझ पे इतना करो
ज़ज़्बातों से मेरे खेलना छोड़ दो ||
अगर इशारा करो कितने मर जायेंगे
नाम अपना ज़माने में कर जायेंगे
हर नजर ढूंढ़ती है तुम्हे राह में
फिर रहे है दीवाने तेरी चाह में ||
तेरी नशीली आँखों की खा के कसम
सह रहे मुस्कुराते हुए हर सितम
मेरी मजबूरियों की कसम है तुम्हे
याद आ कर मुझे छेड़ना छोड़ दो ||
तुम नहीं जानती , नासमझ हो अभी
पूछते हैं पता क्यों तुम्हारा सभी
तुम नजर इस ज़माने की पहचान लो
भूल कर भी किसी का न एहसान लो ||
बेखबर तुम न रहना किसी हाल में
हो ना दुश्मन कहीं यार की खाल में
बात मेरी अगर मान लो जो कभी
राह में यूँ टोकना छोड़ दो ||
शामे रंगी हो तुम , तुम हो नूरे सहर
हो अदा,हो नशा, हो कज़ा,हो जहर
ख्वाब जो भी सजाने लगे हैं तेरे
बेवजह बन गए हैं वो दुश्मन मेरे ||
चाह कर तुझे मैं बता क्या करूँ
किस कदर इस जहाँ में गुजरा करूँ
ज़िन्दगी है मेरी मुश्किलों से भरी
आंसुओं से भरी,आफतों से भरी ||
जीवन का क्या भरोसा कहाँ शाम हो
कब ये जीवन सियाही में गुमनाम हो
इसलिए इल्तिज़ा ये करूँ जानेमन
ख्वाब में भी मुझे देखना छोड़ दो ||
आगे पढ़े
खामोश जल रहा हूँ।
प्रेमिका की सुंदरता पर कविता
Our Facebook Page