भारत में हज़ारो वर्षो से बह रही माँ गंगा नदी की आज की हालत को ये कविता दर्शाती है। माँ गंगा का पानी बहुत ही जीवन दायिनी माना जाता है लेकिन आज के इस आधुनिक दौर में जिस तरह से गंगा की दुर्गति हो रही है उससे बहुत पीड़ा होती है। आप से अनुरोध है कि इस कविता को पूरा पढ़े और माँ गंगा की हालत को समझने का प्रयास करें। माँ गंगा पर कविता ( Poem on Ganga River in Hindi )

Poem on Ganga River in Hindi

माँ गंगा पर कविता – Mother Ganga River Poem in Hindi

हज़ारो वर्षो के तप से , भागीरथ के प्रयासों से
आयी धरती पर गंगा , जीवन दायिनी माँ गंगा।।

भागीरथ के पुरखो का तारा , मोक्ष का एक मात्र सहारा
स्वर्ग लोक के आयी गंगा , मोक्ष दायिनी माँ गंगा।।

आदिकाल से बहती कल-कल , अमृत कहलाता गंगाजल
सींच रही हैं खेत हमारे ,सींच रही हैं हलक हमारे।।

मुश्किल में आज है गंगा , पुकारता हिमालय है आवाज
अपनी – अपनी करनी से, इंसानो अब आ जाओ बाज ||

भारत की शान है गंगा , भारत की पहचान है गंगा
गंगा मेरे सपनो में आयी , उसने अपनी व्यथा सुनाई।।

सुन ले ऐ निष्ठुर इंसान , क्यों झूठा देते हो मान
नहीं करो झूठा गुणगान , बहुत सह लिया अपमान।।

गंदगी से बचाओ जान , वर्ना तज दूंगी मैं प्राण
खुद से मैं शर्मिंदा हूँ , फिर भी अभी तक जिंदा हूँ।।

ये प्रश्न आज कोंध रहा , मैं क्यों इसपे मौन रहा
गंगा है माँ चुप रहती है , कितने कष्टों को सहती है।।

सोचता हूँ अब दिन रात, कितनी निर्मम मानव जात
लगता इस पर कुम्भ यहाँ , आता पूरा विश्व यहाँ ।।

अमृत इसका पानी है , आज लगता बेईमानी है
हमने किया ये कैसा हाल , हर तरफ कूड़े का जाल।।

आज से ही सौगंध खाये , गंगा सफाई से पुण्य कमाये
भागीरथ के प्रयासों को , और कलंकित मत करो।।

गंगा पर अब बात नहीं , कुछ सफाई का कर्म करो
कुछ सफाई का धर्म करो।।

गंगा होगी तो हम होंगे
गंगा होगी तो जीवन होगा
गंगा होगी तो भारत होगा
गंगा होगी तो हम सब होंगे।।