Mahabharat ki Kahaniyan Hindi Mein – महाभारत की कहानियां
हिन्दू धर्म के आस्था युक्त धर्म ग्रन्थों में महाभारत का विशिष्ट स्थान है। महाभारत की विशिष्टता इस अर्थ में भी है की इसकी सम्पूर्ण कथा के केंद्र बिंदु स्वयं श्री कृष्ण हैं। महाभारत में पांडवों का साथ देते श्री कृष्ण के निति वचन युद्ध निति का दर्शन शास्त्र है। साक्षात् भगवान रूप होते हुए श्री कृष्ण ने इस बात की व्याख्या की है कि सर्वप्रथम हर संभव प्रयास द्वारा युद्ध को टालने की चेष्टा की जानी चाहिए। युद्ध टल न सके तो खलु (दुष्ट) को उसकी दुष्टा का सबक सिखाना ही एकमात्र धर्म रह जाता है।
Mahabharat ki Kahaniyan Hindi Mein
युद्ध में असत्यता का सहारा लेना, छल के रास्ते पर जाना भी आवश्यक युक्ति होती है । युद्ध जीतना ही एकमात्र उद्देश्य होता है, क्यूंकि युद्ध बैरी से लड़ा जाता है, किसी साधू से नहीं । साधू के साथ साधुता का व्यवहार शोभा देता है , दुष्ट के साथ धर्मराज युधिष्ठर बनकर नहीं रहा जा सकता , उनके बीच झूठ और छल का सहारा लेना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए- जैसे की ‘अश्वस्थामा’ के मारे जाने के मिथ्या समाचार को फैलाकर युद्ध का नक्शा बदल देने में भी श्री कृष्ण ने परहेज नहीं किया था ।
महाभारत की शिक्षाप्रद कथाओं का इस संकलन में केवल महाभारत के युद्ध का ही एकमात्र वर्णन नहीं है , बल्कि महाभारत से सम्बंधित आदर्शवादी पात्रों के चारित्रिक शिक्षाओं से सम्बंधित अधिकांशतः शिक्षाप्रद कथाएं भी है । इसमें दुष्ट को दुष्टता का परिणाम भुगतने की जानकारियां भी हैं । सत्य के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ युधिष्ठर की कुछ कथाएं हैं। भीष्म पितामह की पितृ भक्ति से सम्बंधित भीष्म प्रतिज्ञा से सम्बंधित कथाएं हैं ।
कौरवों के बैर-भाव और अपने ही भाई पांडवो से छल, प्रपंच, फरेव से सम्बंधित कई कहानियां और पांडवो के वनवास, उनकी वीरता, द्रौपदी स्वयंवर, अर्जुन-सुभद्रा विवाह, द्रौपदी चीर हरण जैसी कथाओं का समावेश भी है | महाभारत की मुख्य भूमिका निभाने वाले अन्य सभी पत्रों के जीवन और कर्म सम्बंधित शिक्षाप्रद कथाएं भी इस संकलन में है । आदर्श चरित्रों पर आधारित, इस संकलन की आदर्श कथाएं मानवीय मूल्यों को स्थापित करती है । विश्वास है कि हर कथा रोचक , प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद साबित होगी ।