Love Ghazal in Hindi – Romantic Ghazals
रात आयी है बलायों से रिहाई देगी
अब न दीवार न ज़ंज़ीर दिखाई देगी
वक़्त गुजरा है पर मौसम नहीं बदला यारों
ऐसी गर्दिश है की ज़मीं खुद भी दुहाई देगी
ये धुन्दला सा जो है उसको गनीमत जानो
देस्खना फिर कोई सूरत न सुझाई देगी
दिल जो टूटेगा तो एक तरफ़ा तमाशा होगा
कितने आईनो वो शक्ल दिखाई देगी
साथ के घर में बहुत शोर मचा है यारों
लेकिन कोई आएगा तो दस्तक भी न सुनाई देगी
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जलते हुए चिराग़ बुझाती रही हवा।
जंगल की आग और बढ़ाती रही हवा।।
फूल कहीं खिले तो कहीं आंधिया चली।
अपनी तमाम अदाएं दिखाती रही हवा।।
छेड़ा अगर कभी, तो कभी प्यार से बहुत,
दे-दे के लोरियां भी सुलाती रही हवा।।
दीवार बीच लेटे थे, पर नींद उड़ गई,
ख़ुश्बू तुम्हारी ले के जो आती रही हवा।।
मुददत के बाद गांव जो पहुंचे तो देर तक ,
बरसों पुराने गीत सुनाती रही हवा।।
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तरंग कैसी है ये, ये एतबार कैसा है।
जिसको कभी देखा नहीं, उससे प्यार कैसा है।।
वो जिसने एक नज़र में क़रार लूट लिया ,
उसी के वास्ते दिल बेकरार कैसा है।।
नज़र, नज़र से मिली और दिल मिला दिल से ,
ज़रा-सी देर में ये कारोबार कैसा है।।
गुमान होता है उसका हर एक आहट पर ,
ऐ बुख़ुदी! ये बता इन्तेज़ार कैसा है।।
बिछड़के रहना बुरी शय है हमने मान लिया ,
नज़र में छाया हुआ हुस्ने यार कैसा है।।
भुला रहा हूँ जिसे कोशिशों से ऐ दिल ,
उसी के वास्ते दिल बेक़रार कैसा है।।
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