Love Ghazal in Hindi – Romantic Ghazals
मौसमों की बातों तक गुफ्तगू रही अपनी
मैंने कब कही अपनी तुमने कब सुनी अपनी ||
ख़त्म ही नहीं होते सिलसिले सवालों के
सिलसिले हिसाबों के और ख़ामोशी अपनी ||
कुछ हसीं तस्वीरें रह गयी निगाहों में
वरना कैसे गुजर पाती शामे-ज़िन्दगी अपनी ||
इस खता में मुझको भी शर्मसार कर डाला
शहर के रईसों से क्यों दोस्ती ना थी अपनी ||
कुछ ख़ुशी के आंसूं भी आँखों में उतर आये
अपने जैसे लोगो से ही जब ग़ज़ल सुनी अपनी ||
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उनको दिल की नजर में बसाते रहेंगे हम
हर रोज यूँ ही ईद मनाते रहेंगे हम ||
ये गम भी दोस्ती में उठाते रहेंगे हम
उनकी हर एक ज़ख्म को भूलते रहेंगे हम ||
सांकी पिलाई तूने हमें तेरा शुक्रिया
अब हमको छोड़ होश में आते रहेंगे हम ||
मंजूर हर सितम हैं मोहब्बत की राह में
पहलू तेरे करम से बचाते रहेंगे हम ||
गम में मुस्कुरायेंगे जालिम तेरे लिए
आंसू तेरी नजर से छुपाते रहेंगे हम ||
खुशदिल न मिट सकेगी मोहब्बत की रौशनी
हर ओर चिराग इश्क़ की जलाते रहेंगे हम ||
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परिंदो से रफाकत हो गयी है
सफर की अब आदत हो गयी है
निकल कर घर बाहर आ गया हूँ
मंजिल से अब नफरत हो गयी है
वही मिटटी जो थी पहचान मेरी
समंदर से अब अलामत हो गयी है
मुसाफिर पत्थरों में ढल गए हैं
सफर की ये रिबायत हो गयी है
घने पेड़ो के साये तो बहुत है
मगर चलने अब दिक्कत हो गयी है
बरसने को घटा बरसी है सब पर
मगर आंसुओं की अज़मत हो गयी है
लहू के दाग धोते-धोते अब तो
रंगो से भी नफरत हो गयी है
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