Love Ghazal in Hindi – Romantic Ghazals
सज – संवर के जब वो निकलती है
चाँद – तारों की जान निकलती है ||
उसकी यादों में दिन गुजरता है
उसके सपनो में रात ढलती है ||
खुशबू उसकी सदा है साथ मेरे
सांसें जिसके सहारे चलती हैं ||
जब भी देखूं, उदास मैं उसको
दिल ही जाने की, क्या गुजरती है ||
वो भी मजबूर है , हम भी यहाँ
आस मिलने की फिर भी पलती हैं ||
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इक चिरागे मोहब्बत जला लीजिये
अपना दिल मेरे दिल से मिला लीजिये ||
गम कोई अगर आकर सताने लगे
मुझको आवाज़ देकर बुला लीजिये ||
याद मेरी अगर आ ही जाये कभी
अपने सर को जरा सा झुका लीजिये ||
खुश मझे देख कर लोग जलने लगें
मुझको आँखों में अपनी छुपा लीजिये ||
दर्दे – जुदाई सताता है हर दम मुझे
अब तो सीने से मुझको लगा लीजिये ||
मन को मेरे आजमा कर कभी
मुझको मुझी से चुरा लीजिये ||
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दिल में थी एक शोख हसीना , सपनो में अलसायी हुयी
आंखें जिसकी मय के प्याले, ज़ुल्फ़े थी बल खायी हुयी ||
आंचल का भी होश नहीं था , बेखुद थी क्यों किसको पता
जाने क्या-क्या सोच रही थी, तन्हा थी घबराई हुयी ||
वादा कर के शायद कोई , आया नहीं था वादे पर
रुखसारों पर नूर नहीं था , जैसे कली मुरझाई हुयी ||
ज्यूँ ही देखा मुझको उसने , बोली मुझसे तुम थे कहाँ
आंख खुली तो देखा मैंने , कली घटा थी छायी हुयी ||
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