भारत की हर एक सुहागिन नारी के लिए करवाचौथ का व्रत बहुत ही महत्त्व रखता है। इस दिन सारी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र तथा वैवाहिक जीवन की सुख शांति व समृद्धि के लिए निर्जल उपवास रखती हैं। ऐसी धारणा है कि पूरे दिन निर्जल उपवास के बाद चाँद के दर्शन करके और उनको जल चढ़ाकर उपवास को खोला जाता है।  इससे उन्हें चंद्र देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।  चाँद को अर्घ्य देकर ही महिलाएं भोजन ग्रहण करती है।  ये अपने आप बहुत ही अद्भुत है।  ये Karwa Chauth ki Kavita उन सारी महिलाओं के लिए समर्पित है।

हिन्दू धर्म में इसलिए औरत को महानता का दर्जा दिया गया है।  पूरे दिन बिना कुछ खाये पिए अपने पति और परिवार की सुख और शांति के लिए ऐसा त्याग सिर्फ एक औरत ही कर सकती है। ये भारतीय नारी की सहनशीलता और दृढ़ निश्चय को दर्शाता है। शाम को पूजा करने के बाद महिलाएं अपनी सांस को कुछ भेट करती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। उम्मीद है कि आपको Karwa Chauth ki Kavita पसंद आएगी। अगर आप भी कुछ सुझाब देना चाहते है तो हम आपके सुझाब को वेलकम करते हैं। आप सब का बहुत ही धन्यबाद।

Karwa Chauth ki Kavita

Karwa Chauth ki Kavita




सुहागनों का त्यौहार है करवाचौथ
प्रेम का त्यौहार है करवाचौथ ||

सोलह श्रृंगार करके चलती है
जब एक नारी ||

लगता है अप्सराएं स्वर्ग से उत्तरी हो
आज धरती पर सारी ||

मेनका भी पानी भरे
जब करती ये श्रृंगार ||




चेहरे से नूर टपकता
नैनो से झरता प्यार ||

प्रेम के इस उत्सव की है
बड़ी अनोखी शर्त ||

सजधज कर रहती नारी
पर निर्जल रखती ब्रत ||

वसुंधरा की तरह तुम भी
कितना भर उठाती हो ||

चाहे कितना कष्ट हो तुमको
तुम सदा मुस्कुराती हो ||

चाँद का दीदार करके
खोलती है उपवास ||

चेहरे पर होता है
एक अद्भुत एहसास ||

नर कभी नहीं हो सकता
नारी सा महान ||

करवाचौथ का व्रत है
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण ||

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