incomplete love poem in hindi

Incomplete Love Poem in Hindi – अधूरा प्रेम पर कविता

दोस्तों इस पोस्ट में आपके लिए है अधूरा प्रेम पर कविता ( Incomplete Love Poem in Hindi ) आशा करते हैं की आपको ये कविता पसंद आएगी। कृपया हमें अपना सुझाब जरूर प्रदान करें।

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अधूरा प्रेम पर कविता – Incomplete Love Poem in Hindi 

 

सरिता के सम्बन्ध का, इतना तेज बहाब
तट पर आकर डूबती, अरमानो की नाव ||

तेज हवा से तेज है , मुँह से निकली बात
आसमान पर जा चढ़ी , देखो ! रातो-रात ||

तन माँ को घायल करे , यूँ वियोग की पीर
उड़ते पंछी को लगे , जैसे कोई तीर ||

वैरागी मन की व्यथा , क्या समझेंगे लोग
तन-मन को छलनी करे , ऐसा रोग वियोग ||

कैसे नापेगा कोई , आकर्षण की डोर
नभ के अंदर चाँद है , धरती बीच चकोर ||

यूँ छन-छन कर मेघ से ,आयी हल्की धूप
जैसे घूँघट से चने , एक गोरी का रूप ||

टुकड़े – टुकड़े हो गयी , जालिम की तलवार
यूँ कानो को छू गयी , पायल की झंकार ||

यूँ नफरत की आग में, जलता है संसार
मोड़-मोड़ आतंक है , पग-पग अत्याचार ||

क्या कोयल का कूकना, क्या फूलो के रंग
सब कुछ फीका है अगर, दिल में नहीं उमंग ||

तेरी आंखें झील है , चेहरा एक किताब
होठों में खिल-खिल हॅसे, सुन्दर सुर्ख गुलाब ||

अंगड़ाई है चेतना , आंचल है विस्तार
सौ जन्मो का पुण्य है , पल दो पल का प्यार ||

अपना घर भी यूँ लगे , जैसे कारावास
एरी यादों के बिना , क्या है दिल के पास ||

खंजर से भी तेज है , नीलकमल की धार
एक सबको को घायल करे , एक नजर का वार ||

तुझको तेरा तैरना , डुबो गया सौ बार
मैं दरिया में डूब कर , पहुंचा हूँ उस पार ||

अब तो सच्ची मान ले , मेरे मुँह की बात
मैंने लौ पार दीप की ,ले रख डाला हाथ ||

पल में धरती से मिली , बनकर एक लकीर
क्या पलकों को बांधती , अश्को की ज़ंज़ीर ||

देख जरुरत पार तेरा , ठीक समय हो ध्यान
सूखी फसलों पार नहीं,बारिश का एहसान ||

कोण अलापेगा मेरी , अच्छाई का राग
पल में बदनामी बनी, एक जंगल की आग ||

अपने मुँह की खा गयी , फिर फूलो की आस
हम गुलशन से लाये हैं , कुछ काँटें कुछ घास ||

कैसे फूल गुलाब के, क्या कलियों का मोल
सब मुरझाये जब सुना , तेरा मीठा बोल ||

जिससे तेरे प्यार का , पल दो पल का मेल
उसकी खातिर मोत भी, है बच्चो का खेल ||

इस आशा में जागती, विरहन ओढ़े लाज
बंद किबाड़ों पर पिया , दस्तक देंगे आज ||

चन्दन तरु का सांप है , या तितली या फूल
वो उसको अच्छा लगे , जो जिसके अनुकूल ||

यूँ पल-पल विष फूंकता, तन-मन में अनुराग
जैसे हिरणी को डसे, एक जहरीला नाग ||

यूँ चीन सुख चैन को ,दुःख दर्दो की भीड़
जैसे पंछी देखता , अपना जलता नीड़ ||

फिर दिन की अर्थी उठी , फिर जन्मी है शाम
फिर होठों पे दफ़न है , हरजाई का नाम ||

कौन मुझे सन्देश दे , किस्से पूंछू हाल
पल भर मुक्त न जब करे , तन्हाई का जाल ||

पल भर को घर आ गया,जब प्यारा मेहमान
मेरी बातों पार रहे , दीवारी के कान ||

खुद से पूछे राधिका , कहाँ गया चितचोर
रोते – रोते हो गयी , दीवारे दिल की कमजोर ||

मुक्त किया क्यों आपने , सारे बंधन खोल
मैं कर बैठा स्वपन में , ज़ंजीरो का मोल ||

यूँ जलने की चाह में , व्याकुल है कंदील
मेघो के कर जोड़ती , जैसे सूखी झील ||

क्या कसमो का मोल है, क्या वादों का भाव
क्या तट पर पहुंची कभी, एक कागज की नाव ||

जब शर्माए चन्द्रमा, ले बादल की ओट
तेरा आंचल मुँह ढका , करता दिल पे चोट ||

उस काजल में चांदनी, ढूंढे अजब सुराग
दुनिया को दर्पण हुए , जिस काजल के दाग ||

टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता , पर्वत ऊपर गांव
घनी धूप , तपती धरा , चलना नंगे पाँब ||

भाबुकता जिसके लिए , बन बैठे अभिशाप
उसका जीवन मूल्य है , केवल पश्चाताप ||

झूठे सब सम्बन्ध है , झूठा प्रेम स्नेह
जाने कब संसार को , छोड़ चले ये देह ||

 





आपको हमारी ये कविता Incomplete Love Poem in Hindi कैसी लगी। कृपया हमें अपना सुझाब जरूर दे ताकि हम भविष्य में अपने लेखन में और सुधार कर सकें।

 

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