Famous Ghazals in Hindi – सुपरहिट गजल हिंदी
Famous Ghazals in Hindi
पुराने ज़माने से ग़ज़ल पढ़ना एक दिल को सुकून देने वाली चीज़ रही हैं। हमारे इस पोस्ट पर कुछ बेहतरीन ग़ज़लों का कलेक्शन लगातार पोस्ट होता रहता है। अगर आप भी ग़ज़ल पढ़ना चाहते है तो इस पोस्ट पर आपको मिलेंगी कुछ Famous Ghazals in Hindi और सुपरहिट गजल हिंदी में।
नफरतों का जहर – Famous Ghazal
नफरतों का जहर बन गयी ज़िन्दगी
एक उजड़ा शहर बन गयी ज़िन्दगी ||
किसको है प्यार दिल से किसी से कहो
मतलबों का बसर बन गयी ज़िन्दगी ||
रौशनी दी जिसने सबको उसी ने मगर
ज़ुल्मतों का कहर बन गयी ज़िन्दगी ||
अब ना सायें की कोई उम्मीद करें
अब तो सूखा हुआ पेड़ बन गयी ज़िन्दगी ||
दौर यूँ चल पड़ा दिल परेशान है
दर्द की एक लहर बन गयी ज़िन्दगी ||
भीड़ तो चारो तरफ है मगर फिर भी क्यूँ
आज तन्हा सफर बन गयी ज़िन्दगी ||
आह लब पर हमारे तो फिर भी नहीं
जबकि दर्दे – जिगर बन गयी ज़िन्दगी ||
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ऑंखें मुझसे चुराता है क्या – Ghazal
ऑंखें मुझसे, चुराता है क्या
साफ-साफ कह दे, इरादा क्या ||
चर्चे तेरे भी, कुछ काम नहीं
किस्से तू मेरे, सुनाता है क्या ||
बात दिल में तो, कुछ और है
हाथ यूँ मुझसे, मिलाता है क्या ||
छलनी सीना किया, तूने मेरा
अब नजर को यूँ, झुकाता है क्या ||
गौर खुद पर भी, कर ले कभी
मुझको आईना, दिखाता है क्या ||
इश्क़ मुझ से, अगर है तुझे
अहसान मुझपे जताता है क्या ||
कर दिया है तूने , तार-तार ये दिल
अब मुझसे दामन, बचाता है क्या ||
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हर लम्हा ज़िन्दगी का – Ghazal
हर लम्हा ज़िन्दगी का , कुछ ना कुछ सिखा गया
चेहरे पर जो परदे थे , वो परदे उठा गया ||
इश्क़ करने की आड़ में , करता रहा फरेब
क्या सादगी से दाग को , वो अपने छुपा गया ||
लाचार बेबसों पे , ढाता रहा सितम
मिलते ही कोई सानी , सर अपना झुका गया ||
मैखाने की गली से , जिसे दिन में था परेज
कल सारी रात वो , मैकदे में बिता गया ||
कहते है सब उसी को , हुनरमंद दोस्तों
जो ऐब सभी अपने , बाखूबी छुपा गया ||
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कुछ वफ़ा में कसर – A Heart Touching Ghazal in Hindi
कुछ वफ़ा में , कसर नहीं मिलती ,
उनसे फ़ितरत , मगर नहीं मिलती ।।
बद्दुआ शौक़ से , रहे नाकाम,
हाँ, दुआ बेअसर , नहीं मिलती ।।
दो कदम राह- स्वभाव नहीं चलता,
राह जब हमराह , नहीं मिलती ।।
क्या महकता ये , गुलशने-हस्ती,
गुल को ख़ुश्बू , अगर नहीं मिलती ।।
ज़िंदगी की ख़ुशनुमा , तस्वीर,ऐ दिलवाले
उम्र भर और हर बार , नहीं मिलती ।।
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रंग तस्वीरों में भरना चाहिए – Hindi Famous Ghazal
रंग तस्वीरों में भरना चाहिए ।
ऐ मुसाफ़िर! कुछ तो करना चाहिए ।।
हमनशीं, काफी सफ़र तय कर लिया,
शाम है, अब तो ठहरना चाहिए ।।
बैठ कर सरसब्ज़ पेड़ो के क़रीब,
अपना-अपना जाम भरना चाहिए ।।
धूल से भरी है आँखों की चमक,
आइनों को साफ़ करना चाहिए।।
दिल से उठनी चाहिए पत्थर की सिल,
बोझ रस्ते का उतरना चाहिए।।
चूम कर एक दूसरे को प्यार से,
कहकशां पर पांव धरना चाहिए।।
गूँज उठना चाहिए मानिन्दे-साज़ ,
और फ़िज़ाओं में बिखरना चाहिए।।
भर गयी है रात तारों से सारी,
अब तो उठ कर दीदार करना चाहिए।।
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आंसुओं की बर्फ – New Hindi Ghazal
आंसुओं की बर्फ से जब ज़हन ही ठस हो गया।
आँख झपकी, सोच का मंज़र भी ओझल हो गया।।
छांव क्या मिलती कि सारे पेड़ झड़ जो गए।
प्यास क्या बुझती कि पानी धूप में उड़ जो गया।।
क्षणिक शोहरत कि ख़्वाहिश, सबको उदास कर गई।
आफ़त ये है कि सारा शहर पागल हो गया।।
ख़ाली गुम्बद से आवाज़ टकरा के वापस आ गई ,
उस पे पत्थर फेंक के मैं आप घायल हो गया।।
खून की नदी में जब रवानी थम सी गई ,
उसको मौसम से नवाज़ा काई का आँचल हो गया।।
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फिर से गुलशन की – Famous Life Ghazals in Hindi
फिर से गुलशन की ज़मीं को , तारो-ताज़ा करना।
फूल मुरझाएं तो ख़ुश्बू का , ना पीछा करना।।
क्या वो गिरते हुए , सूरज को सहारा देगा ,
जिसे नहीं आता हो , हर ज़र्रे को सितारा करना ||
हमने हर कदम पे , नेकी के निशां छोड़े हैं,
आने वालो! इन्हे तुम , गौर से देखा करना।।
फ़िक्रों-इज़हार की , शम्में तो जलाएं रखें,
ये बड़ी बात है, एहसास का दर खुला रखना।।
उसकी आँखों में भी लहराएँ , तलब के जुगनू ,
ऐसे अंदाज़ से इज़हारे-तमन्ना करना।।
उस पारखी नज़र को न भूल पाएंगे कभी ,
रक़्स पथराव में रह कर तने- तनहा करना।।
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उसने तक़सीम कर दिया – Hindi Ki Gazal
उसने तक़सीम कर दिया सब कुछ।
और फिर भी रहा ख़ुदा सब कुछ।।
छोड़ आए हैं हम शहर में तेरे।
इक तेरी याद के सिवा सब कुछ।।
तेरे अपने सिवा तेरे घर में।
है ख़ुदा का दिया हुआ सब कुछ।।
काम ले लबों से कुछ और।
सिर्फ होती नहीं दुआ सब कुछ।।
घोंसले के करीब इक चिड़िया।
सोचती है अब ये क्या हुआ सब कुछ।।
जिस्मो-जां की भी कुछ जरूरतें हैं।
इश्क़ तनहा नहीं सदा और भी है सब कुछ।।
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दिल इस दुनिया में – New Ghazal Hindi
दिल इस दुनिया में खो गया है क्या।
आइना संग हो गया है क्या।।
मैं न था बीता हुआ पल था।
अब ये मुड़-मुड़ के देखता है क्या।।
सोचते सब हैं, पर क्या मेरी तरह।
और कोई भी सोचता है क्या।।
रुत बदलते ही दिल बदलते हैं।
तू मेरे शहर में नया है क्या।।
गर पारखी नज़र मिले तो देख।
एक नुक़्ता भी फैलता है क्या।।
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दिल के ख़ाली हाथ भी – Famous Ghazal Hindi
दिल के ख़ाली हाथ भी हसरत चुरा लाये बहुत।
यानी अपने वास्ते दौलत चुरा लाये बहुत।।
टूटना भी इक कला है वक़्त की ।
टूटते वक़्तों से हम सीख चुरा लाये बहुत।।
जंगलों में बोरियों के साये हैं या ज़िन्दगी।
शहर की रौनक़ से हम वहशत चुरा लाये बहुत।।
मुश्किल सफर दर्द और तजुर्बे।
सबके बीच हम जन्नत चुरा लाये बहुत।।
मुश्किलें साँसों की डग-मग हुई ऐसी कि हम।
मुश्किलों के रंग में राहत चुरा लाये बहुत।।
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बड़े बेरहम लोग – Hindi Purani Ghazal
बड़े बेरहम लोग मिलते रहे हैं
मुझे खाक कर के मचलते रहे हैं ||
गरीबों की आँखों से सपने चुराकर
ये तकदीरे अपनी बदलते रहें हैं ||
कहर ढा रहें बस्तिया जलाकर
हसरतें हजारो मसलते रहें हैं ||
मुश्किल हुआ है सफर ज़िन्दगी का
उजाले सियाही में ढलते रहें हैं ||
खता तेरी क्या थी बता दे ऐ दिल
ये खंजर तुझी पर क्यों चलते रहें हैं ||
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ज़िन्दगी चल रहीं है मगर – Purani Ghazal Hindi
ज़िन्दगी चल रहीं है मगर
आग में जल रहा है शहर ||
हाल ये अब आदमी का हुआ है
छलनी है सीना और ज़ख़्मी जिगर ||
उठ रहा है हर तरफ शोर क्यों
कौन फैला रहा ये ज़हर ||
काश अब तो कोई बता दे मुझे
क्यों दुआ हो रही बेअसर ||
देख कर चल ऐ ज़िन्दगी यहाँ
आग में घिरी है हर रह गुजर ||
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लुटेरों पर हर दम – Hindi Famous Ghazal
लुटेरों पर हर दम लगाए रहे हम नजर
कब लुटा अपनों ने ही हुयी न खबर ||
जिस तरफ भी गए भीड़ ही भीड़ थी
आशना न मिला कोई अपना मगर ||
अँधियाँ जब चली सब गए छोड़कर
हम भी छोड़ जाते तो जाते किधर ||
साफ़ दामन कहीं कोई मिलता हमें
उसके कदमो पे रख देते हम तो ये सर ||
क्या रहम की उम्मीद किसी से करे
पत्थरों से भरा है ये सारा शहर ||
हम ने समझा हमेशा हमारा जिसे
घायल सीना किया है उसी ने मगर ||
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राह कोई अब नजर – Best Hindi Ghazal
राह कोई अब नजर आज आती नहीं
छोड़ कर आस फिर भी तो जाती नहीं ||
मुस्कान ये कभी कितनी खुशहाल थी
ज़िन्दगी अब कहीं मुस्कुराती नहीं ||
कोयलें ना जाने अब क्यों चुप हो गयीं
क्यों चमेली भी आंगन सजाती नहीं ||
अलविदा – अलविदा लोग क्यों हो गए
दूरियां कोई शय क्यों मिटाती नहीं ||
हाल क्या पूछते हो परेशां का तुम
क्या नजर ये हमारी बताती नहीं ||
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चलेगी कहाँ तक सियासत तुम्हारी – Hindi Famous Ghazal
चलेगी कहाँ तक सियासत तुम्हारी
सभी को पता है शराफत तुम्हारी ||
बहुत हो चूका अब ना बड़े करो तुम
कि हम जानते हकीकत तुम्हारी ||
अगर जागता है वतन आज मेरा
करेगा ना कोई हिफाजत तुम्हारी ||
ना इतने भी नादान समझो हमें तुम
हमें है पता हर हिकायत तुम्हारी ||
जरा जाग जाओ वतन के उजालो
ज़िन्दगी पे होगी इनायत तुम्हारी ||
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ये ना सोचो कभी मैं – A Heart Touching Ghazal in Hindi
ये ना सोचो कभी मैं ठहर जायूँगा
रौशनी दे कर तुमको गुजर जाऊंगा ||
खाक भी ना मेरी कभी छू पाओगे
आसमान से भी आगे निकल जाऊंगा ||
ग़ज़ल के रूप में गीत के रूप में
दिल कि गहराईओं में उतर जाऊंगा ||
महकता ही रहूँगा दिलों में सदा
प्यार के रंग दुनिया में भर जाऊंगा ||
दर्द चाहे मिला हो बेइन्तेहाँ मुझे
पर ख़ुशी बाँट कर मैं बिखर जाऊंगा ||
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जब से ईमान के दाम – Famous Ghazal
जब से ईमान के दाम लगने लगें
कैसे – कैसे ज़माने में बिकने लगें ||
सर चढ़ी यूँ गरज़ की गैरते मर गयीं
अब निशान भी उसूलो में मिटने लगें ||
हाथ फ़ैलाने में शर्म आती नहीं
चेहरे ऐसे भी बेशर्म दिखने लगें ||
भीख का एक टुकड़ा अगर जो मिले
काम जो भी हो लोग करने लगें ||
लोग है आज भी कुछ सच्चे यहाँ
नाम पर जिनके सर सब के झुकने लगें ||
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जिधर देखता हूँ – Famous Hindi Ghazal
जिधर देखता हूँ ज़हर देखता हूँ
सुलगता हुआ हर बशर देखता हूँ ||
उजाले ना जाने कहाँ खो गए
सिसकती हुयी हर सहर देखता हूँ ||
उठा आसमां पर धुआँ ही धुआँ है
दहकता हुआ ये शहर देखता हूँ ||
कभी क्या ख़ुशी थी नशा था हंसी थी
छुपा हर गली में आज दर देखता हूँ ||
यारों ये कैसी घडी आ गयी है
जिधर देखो भीगी नजर देखता हूँ ||
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तेरे मिलने की मांगी दुआएं सदा – Famous Ghazal Hindi
तेरे मिलने की मांगी दुआएं सदा
मुझ को लेकिन मिलीं है ये तन्हाईआं ||
ज़ख्म मेरे बने दर्द की रागिनी
गीत कोई ख़ुशी का सजे अब कहाँ ||
हर कर मुझसे तूफान भी चल दिए
चोट दिल पे लगी और मैं मर गया ||
याद उनको अहसान ना मेरे रहे
ना कोई शिकवा ना कोई गिला किया ||
घर जलाकर ज़माने को दी रौशनी
वक़्त मुझ पर पड़ा तो अँधेरा दिया ||
भूल तुम कर गये थे जानकर कभी
अब उसी की तुम्हे मिल रही ये सजा ||
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नफरतों का जहर – सुपरहिट गजल हिंदी
जिस तरफ देखिये नफरतों का जहर
उठ रहा है धुआँ जल रहा हर शहर ||
कैसे रहबर उन्हें आप कहने लगे
छीन रहे है अमन वो हमारा अगर ||
कातिलों को बिठाया सदा तख़्त पे
फ़रिश्तो को न पूछा किसी ने मगर ||
बीच में क्यों दिल की दीवारे उठी
किसलिए खून बहने लगा हर डगर ||
प्यार ही से अमन हो सकेगा यहाँ
काश सब जान ले बात इतनी अगर ||
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ज़िन्दगी मौत के – मशहूर ग़ज़ल
ज़िन्दगी मौत के साये में पल रही
रूह हर एक यारों यहाँ जल रही ||
तरसती ही सदा रौशनी के लिए
आँसू बरसाती शामो-सहर ढल रही ||
सब अमन चाहते है हमेशा यहाँ
बात शैतान को ये मगर खल रही ||
आ गया वक़्त अब जाग ए इंसान
उसको बर्बाद कर आँख जो जल रही ||
और कोई लिखे तेरी तकदीर क्यों
किसलिए रस्म ये आज तक चल रही ||
आ बता दे उन्हें तू भी क्या चीज़ है
जो निगाहें तुझे आज तक छल रही ||
बात ऐसी कभी भी ना करते यहाँ
जानते अगर यहाँ क्या हवा चल रही ||
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अब तो सुन – बेहतरीन ग़ज़ल
बेआवाज़ इंसानो की सदा, अब तो सुन
सब पता है तुझे ए खुदा, अब तो सुन ||
लूटता है ज़माना इन्हे किस तरह
आ जरा देख तू ये समां, अब तो सुन ||
कौन इनकी सुनेगा तुम्हारे सिवा
किसलिए आँख रोये गिला, अब तो सुन ||
बेवसी इनकी आ कर ज़रा देख ले
कर निगाहें-ऐ-करम ये दुआ, अब तो सुन ||
चाँद तारे इन्होने ना मांगे कभी
दे अँधेरे को इनके दिया,अब तो सुन ||
क्या हुआ है तुझे तू भी सुनता सुन
कौन इनकी सुनेगा फिर बता, अब तो सुन ||
ढा रहे है कहर जो उन्हें दे सजा
बस हमारी ये इतनी दुआ, अब तो सुन ||
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बेहतरीन ग़ज़ल – दस्तूर
क्या गज़ब तेरी महफ़िल के दस्तूर हैं
ऐश कातिल की हैं मरते मजबूर हैं ||
नजर दामन पे अपने भी कर ले कभी
फिर सजा जो भी दे मुझ को मंजूर है ||
बात अगर कोई ना थी क्यों उठता धुआँ
हर गली चर्चे क्यों तेरे मशहूर है ||
हाल ना हो किसी दिन तेरा भी यही
हो ना कल नम नजर ये जो मगरूर है ||
अब ना आवाज़ देना हमारे दिल को तुम
सुन रहे हैं नशे में कि अब हम चूर हैं ||
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घर में गबन – Famous Ghazal
जो अपने ही घर में गबन कर रहे हैं
वो बदनाम सारा वतन कर रहे हैं ||
वही जो हमारे रहनुमा बने हैं
भरोसा हमारा दफ़न कर रहे हैं ||
हवस इनकी इतनी बड़ी जा रही है
कि वीरान ये रंगीन चमन कर रहे हैं ||
सजी इनकी दुनिया अर्क से हमारे
हमीं को मगर बेकफन कर रहे हैं ||
मिटा कर फकीरों के सपने ये सारे
खुद गरज़ ये कैसे जशन कर रहे हैं ||
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Famous Ghazal Hindi – क्यों हमारे ज़िक्र पर
क्यों हमारे ज़िक्र पर भी वो खफा होने लगे
बाबफा जो थे कभी क्यों बेबफा होने लगे ||
हर गली हर रहगुजर में सायें अपने थे कभी
वक़्त ने फेरी जो आंखें सब जुड़ा होने लगे ||
ज़िक्र गैरो का क्यों करें अपने भी कुछ काम नहीं
बस जरा सच क्या कहा हम बेहया होने लगे ||
हाँ हमारे सामने हो रहा था क़त्ल मगर
कातिलों के खौफ से हम बेसदा होने लगे ||
नाज हम को है हमेशा दुश्मनो के बात पर
दोस्तों के चाल से अब बेमजा होने लगे ||
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Famous Hindi Ghazal – ज़िन्दगी मैकदे में
ज़िन्दगी मैकदे में गुजरती रहे
मय प्यालों में यारो थिरकती रहे ||
ला पीला सकियाँ तुझ को मेरी कसम
दौर पर दौर हो रात ढलती रहे ||
तक रहे है खड़े रंजो-गम-ओ-सितम
मैकशी अब सदा रोज चलती रहे ||
क्या पिलाई मुझे शुक्रिया साक़िया
उम्र तेरी पनाहो में पलती रहे ||
यूँ ही मुझ पर रहे सकीं तेरा करम
रंग रुत चाहे बदले , बदलती रहे ||
जाम यूँ ही भरा हो हमेशा मेरा
हर घड़ी यूँ ही सजती सवरतीं रहे ||
छोड़ना मयकदा अब तो मुमकिन नहीं
चाहे दुनिया जले या सुलगती रहे ||
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Famous Hindi Ghazal – कोई ऐसे कहाँ
कोई ऐसे कहाँ जो न जाने मुझे
दिन जो बदले लगें सब भुलाने मुझे ||
महक दामन में तेरे बदन की लिए
रोज आये हवाएं जगाने मुझे ||
बात कैसे इन्हे हो गयी है पता
फूल भी अब लगे हैं सताने मुझे ||
क्या बातयूं लगे लोग अब किस तरह
नाम लेकर तुम्हारा बुलाने मुझे ||
इश्क़ में तेरे मशहूर मैं यूँ हुआ
अब नज़ारे सितारे भी जाने मुझे ||
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Famous Ghazal – प्यार चाहे मुझे
प्यार चाहे मुझे तुम करो
फिर मेरे लिए तुम गैर हो ||
कैसे दिल में रखूं मैं तुम्हे
दिल दिया है किसी और को ||
दिल में मेरे बसा है कोई
तुम को कैसे जगह दूँ कहो ||
मैं किसी और का ख्वाब हूँ
ख्वाब मेरे न देखा करो ||
तुम को कैसे करूँ प्यार मैं
तुम जान कर भी क्यों अनजान हो ||
अब ना पूछो की तुम हो कहाँ
खुद ही अपनी जगह जान लो ||
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Famous Hindi Ghazal -तरसता हूँ मैं
तरसता हूँ मैं जिस नजर के लिए
वो न आएगा मेरी खबर के लिए ||
गैर की बहिन में उसको जन्नत मिले
और तड़पा करूँ मैं बसर के लिए ||
वक़्त ऐसा भी एक दिन ज़रूर आएगा
तरस जाओगे मेरी नजर के लिए ||
हसरतें न रही अब तो दिल में कोई
बस सुकून चाइये एक पहर के लिए ||
लोग तो ले गए फूल चुनकर सभी
सिर्फ काटें बचे मेरे घर के लिए ||
ज़िन्दगी में बचा क्या ज़हर के सिवा
मैं भी तैयार हूँ हर कहर के लिए ||
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Famous Hindi Ghazal – ज़िन्दगी यार बिन
ज़िन्दगी यार बिन अधूरी हैं
कैसे तकदीर कैसी दुरी हैं ||
दौलते – दिल की लूट गयी जब से
मैं हूँ तन्हाई और फकीरी हैं ||
अब रात – दिन गुजरते है यूँ
याद तेरी है बात तेरी है ||
पूछ दिल से कभी अकेले में
किसलिए प्यार ये ज़रूरी है ||
यार मेरे मुझे तू दे न सका
ए खुदा ये भी क्या दिलेरी है ||
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Superhit Hindi Ghazal – अपने यार की ज़ुल्फ़ों का
अपने यार की ज़ुल्फ़ों का, दीवाना हो गया
जिस दिल पे बड़ा नाज था , बेगाना हो गया ||
मैंने ही उठाये थे , इस के नाज हर घड़ी
अहसान मेरे भूल कर , अंजाना हो गया ||
समझाऊं इसे जब कभी, होती है लड़ाई
ये सिलसिला लड़ाई का,रोजाना हो गया ||
मरने का इसे शोक है , मैं भी क्या करूँ
अफ़सोस बेअसर मेरा , समझाना हो गया ||
शोलो से खेलने का हश्र , हो भी और क्या
दुनिया को ज़िक्र के लिए , अफसाना हो गया ||
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Famous Ghazal in Hindi – ग़ज़ल की बात करूँ
जो दिल में दर्द पले, तो ग़ज़ल की बात करूँ
फिर एक अश्क’ ढले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
ये देख ! ठहरा है सूरज,
शराबखाने पर
ज़रा ये शाम ढले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
अभी तो दिल को अंधेरा, जकड़ के बैठा है
कोई चराग़ जले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
न सुनने देगी तुझे, घर की चार दीवारी
तू मेरे साथ चले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
तू चाँद- रात की तन्हाइयों के पर्दे में
बदन से नूर’ मले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
मोहब्बतों की ज़रूरत है, शायरी के लिए
किसी का दिल न जले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
ये नर्म-नर्म सी जुल्फें झुकी झुकी नज़रें
इन्हीं का ज़िक्र चले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
नहीं हैं कुछ भी, जहां की ये सेहतें’ ‘परवाज़’
वफा’ का रोग पले, तो ग़ज़ल की बात करूँ ||
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आँखें बनाये बैठा हूँ – Famous Ghazal In Hindi
यूं इन्तज़ार की महफिल, सजाए बैठा हूँ
तमाम जिस्म को आँखें बनाए बैठा हूँ ||
न पूछिएगा सवेरे की, आरजू’ क्या है
कि शाम ही से दिए को, बुझाए बैठा हूँ ||
चमन के फूल अगर, देख लें तो मुरझाएँ
मैं ऐसे ज़ख़्म भी दिल में छुपाए बैठा हूँ ||
तेरे लबों की हँसी, फिर भी रास आती है
हज़ार बार यही चोट, खाए बैठा हूँ ||
वो बात-बात पै कहता है, बेवफा मुझको,
मैं अपने होठों को, पत्थर बनाए बैठा हूँ ||
जो फूल-फूल के चेहरे पै, ताज़गी रख दे ,
इन आँसुओं में वो मौसम छुपाए बैठा हूँ ||
वो इक नज़र में मुझे, खाक करके रख देगा
मैं लाख दिल में, समुन्दर छुपाए बैठा हूँ ||
ग़ज़ल में ढाल रहा हूँ मैं धड़कनें अपनी ,
ये और बात है, सर को झुकाए बैठा हूँ ||
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हर एक दिल का – Famous Ghazal In Hindi
हर एक दिल का जिसे, दुःख दिखाई देता है
उसे तो सारा ज़माना, बधाई देता है ||
कोई बुरा भी कहे, तो जवाब क्या देना
ये मान लीजिये, ऊँचा सुनाई देता है ||
हँसी को बेच के, आँसू खरीद लाया हूं
मेरी तरह कोई अपनी, कमाई देता है ||
दिलों में दाब के रख लो, ग़मों की सौगातें
ये रोना-धोना यहाँ, जग हँसाई देता है ||
बुराई की जो अकेले में कह उठी दीवार
मैं चुप खड़ी हूं मगर, सब सुनाई देता है ||
तेरी गली में तुझे, देखते ही दिल ने कहा
यहाँ तो चाँद भी, दिन में दिखाई देता है ||