Karna par Parshuram ka Krodh – कर्ण पर परशुराम जी का क्रोध
Karna par Parshuram ka Krodh – कर्ण के जन्म की घटना उस समय से जुड़ी है, जबकि कुन्ती बालिका थी और ऋषि दुर्वासा की सेवा कर उन्हें प्रसन्न कर चुकी थी। कुछ दिनों बाद दुर्वासा द्वारा प्राप्त मंत्र की परीक्षा के लिए कुन्ती ने सूर्य का स्मरण किया। यह बात कुन्ती के विवाह से पूर्व की […]
Pandavo ka Lakshagrah Dahan – पांडवो का लाक्षागृह दहन
Pandavo ka Lakshagrah Dahan – पाण्डव अपनी नम्रता, दयालुता, सदाचार व विचारशीलता के कारण अत्यधिक लोकप्रिय हो गये थे। धृतराष्ट्र इनके गुणों की प्रशंसा सुन-सुनकर म नही मन उनसे कुढ़ने लगे थे। इसी कारण वह दुष्ट दुर्योधन की उचित-अनुचित सभी तरह की बातें सहज ही स्वीकार कर लेते थे। दुर्योधन चाहता था कि यदि किसी तरह […]
Guru Bhakt Eklavya ki Kahani – गुरू-भक्त एकलव्य और द्रोणाचार्य
Guru Bhakt Eklavya ki Kahani – गुरू द्रोणाचार्य शस्त्र विद्या के महान ज्ञाता थे। समस्त प्रकार के अस्त्रों-शस्त्रों के संचालन व युद्ध विद्या का जितना ज्ञान उन्हें था, उनके समान किसी आचार्य को नहीं था। विशेषकर धनुर्विद्या के तो वे महान ज्ञाता थे। यही कारण था कि बड़े राजा महाराजा और क्षत्रिय अपने राजकुमारों को उनके […]
Apman ka Badla – अपमान का बदला – महाभारत कहानी
Apman ka Badla – महर्षि गौतम के पुत्र शरद्वान ने कठोर तपस्या के बल पर शस्त्रास्त्रों को प्राप्त किया था। उनके तप से भयभीत इन्द्र ने जानपदी नामक अप्सरा को उनके पास भेजा था। अप्सरा जानपदी को देख शरद्वान मुनि स्खलित हो गये। उनके वीर्य के एक भाग से एक कन्या का, दूसरे भाग से एक […]
Pandu ki Mrityu – महाराजा पाण्डु की मृत्यु व पाण्डवों का जन्म
Pandu ki Mrityu – भीष्म पितामह ने पाण्डु का विवाह राजा भोज की कन्या ‘कुन्ती’ देवताओं की तपस्या करती थी। देवताओं ने उसे प्रसन्न होकर वर दिया था कि तुम जिस भी देवता का स्मरण करोगी, वह तुम्हारे सम्मुख उपस्थित हो जायेगा। उसे दुर्वासा ऋषि ने एक मंत्र भी दिया था। पाण्डु का दूसरा विवाह […]
Kunti ko Durvasa Muni ka Vardan – कुन्ती को दुर्वासा मुनि का वरदान
Kunti ko Durvasa Muni ka Vardan Mahabharat Kahani in Hindi – कुन्ती भगवान श्री कृष्ण के पिता वसुदेव की सगी बहन थी । वसुदेव के पिता शूरसेन ने कुन्ती को राजा कुन्तिभोज को गोद दे दिया था । जन्म से ही वे इन्हें पृथा के नाम से पुकारते थे । राजा कुन्तिभोज के यहाँ इनका […]
Dhritarashtra aur Pandu ka Janm – धृतराष्ट्र एवं पांडु का जन्म
Dhritarashtra aur Pandu ka Janm – महाराज शान्तनु की दूसरी पत्नी सत्यवती की कोख से जन्मे चित्र-विचित्र काल का ग्रास बन गए। चित्रांगद गन्धर्वो से युद्ध में मारा गया और विचित्रवीर्य ने अपने प्राण वन में जाकर गवा दिए। यह देख सत्यवती बहुत दुःखी हुई उसे चिंता हुई की अब वंश बेल किस युक्ति से […]
Amba Ji ko Shiv Ji Ka Vardan – अम्बा को शिवजी का वरदान
Amba Ji ko Shiv Ji Ka Vardan – हस्तिनापुर के महाराज शान्तनु की पत्नी महारानी सत्यवती के गर्भ से दो पुत्र उत्पन्न हुए। बड़े का नाम था चित्रांगद व छोटे का नाम विचित्रवीर्य रखा गया। चित्रांगद के युवावस्था के पहुँचने से पूर्व ही महाराज शान्तनु का स्वर्गवास हो गया। महाराज के स्वर्गवास के बाद भीष्म […]
Bhishma Pitamah ki Pratigya – भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा
Bhishma Pitamah ki Pratigya- महाभारत कथानुसार जब भगवान शिव गोलोक से शिवलोक पधारे तो आते ही शिव और गंगा में विवाद हो गया। जिस पर क्रोधित होकर भगवान शंकर ने गंगा को श्राप देते हुए कहा- “तुम पृथ्वी पर जाकर महाराजा कुरू के वंश में जन्में राजा शान्तनु की पत्नी बनोगी।” कालान्तर में राजा […]