दोस्तों। जब भी हम किसी भी अच्छे कवि को सुनते है तो उसके द्वारा बोले गए शब्दों को बहुत देर तक याद रखते हैं। शायद उसके मुख से सुनाई गयी कवितायेँ और शायरी हमारे मन में छप जाती हैं। कुछ लोग तो इतने गंभीर हो जाते है कि खुद ही कवि बन जाते है और कविताएं लिखना शुरू कर देते हैं। नए कवि पर एक ऐसी ही रचना हम आप लोगो के लिए लेकर आये हैं। आपसे अनुरोध है कि कविता को पूरा पड़े और हमें अपना सुझाब अवश्य दे। हमें आपके सुझाब का इंतज़ार रहेगा। इस कविता का शीर्षक है , जहाँ ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि |
जहाँ ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
कभी – कभी दोस्तों ऐसा भी हो जाता है
काव्य गोष्ठी से जब श्रोता मुग्ध हो जाता है ||
खुद को भूलकर सपने में खो जाता है
शेरो शायरी करता है एक कवि हो जाता है ||
एक बार ऐसा भी वाकया हुआ
मेरा पडोसी मुझे देख कवि बन गया ||
एक दिन मन ही मन कविता गढ़ रहा था
अपनी ही मस्ती में सड़क पर चल रहा था ||
दुर्भाग्य से सीवर का चैम्बर टूटा हुआ था
जो न होना था वो हो गया
नया – नया कवि उस सीवर में घुस गया ||
भूल गया कविता बचाओ-बचाओ चिल्लाया
एक भले इंसान ने उसे मुश्किल से बचाया ||
बचने वाले ने कहा , शुक्र है भगवान का भाई
तुम्हे ज्यादा चोट नहीं आयी
तुम किस्मत के धनी हो जो बच गए ||
नया-नया कवि शरमाया
फिर बोला, मैं कवि सम्मलेन से आ रहा था
मुझ पर कवि बनने का बहुत सवार था ||
चल रहा था सड़क पर आसमान देख रहा था
मस्ती में डूबकर कविता कर रहा था ||
राहगीर बोला मन गए उस्ताद
तुम ही हो असली कवि
क्यों कि किसी ने ठीक ही कहा है
जहाँ न पहुंचे रवि , वहां पहुंचे कवि ||