हेलो दोस्तों। हमारे इस पोस्ट हम आपके लिए लेकर आये हैं एक बेहतरीन कविता जिसका शीर्षक है। दिल पे पत्थर रखकर हम ने सीख लिया है जीना जी
वैसे तो इस दुनिया में हज़ारों लोगो के अंदर बहुत सारी हसरतें होती हैं लेकिन कुछ लोगो की ही सारी हसरतें पूरी हो पाती है। प्रेम करना और उसको पाना भी इंसान की एक गहरी ख्वाइश है। लेकिन सबको उसका प्रेम प्राप्त हो जाये शायद ये संभव नहीं हैं। टूटे हुए दिल और मन में भरे अकल्पनीय प्रेम को दर्शाती ये कविता आपको अपने मन में भरी व्यथा जैसी ही महसूस होगी।
हम सब अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में इतना बिजी हो जाते हैं की अपनी ख्वाशियों को पूरा करना भूल ही जाते है और मन में एक अधरपान का भाव बाकि रह जाता हैं। कविता एक बहुत ही अच्छा जरिया है अपनी मन की व्यथा को पूरी तरह से बाहर निकलने का।
इस कविता के माध्यम से हमारा उद्द्शेय है कि इस ब्लॉग पर पोस्ट कि गयी ये कविता आपके मन को थोड़ा सुकून प्रदान करेगी। उम्मीद करते है की आपको सब लोगो को हमारी ये रचना अच्छी लगेगी। अगर आप कोई सुझाब देना चाहते है तो हमें ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। कविता पढ़ने के लिए आपका धन्यबाद।
दिल पे पत्थर रखकर हम ने – Kavita
दिल पे पत्थर रखकर हम ने
सीख लिया है जीना जी ||
मधु का प्याला समझ के पीते
हम तो गम का प्याला जी ||
उम्र हमारी भले बड़ी है
पर दिल सच में नादान ||
अभी तक भी कर ना सके हम ||
सच्चे प्यार की पहचान
किस घड़ी में हारे दिल को
समझ ना पाया क्या मैं उनको ||
सोचा ना था धोखा खाऊंगा
उनके दिल को ना पाउँगा ||
सपना सुन्दर टूट गया है
प्यार जाने क्यों रूठ गया है ||
अब तो ईश्वर से करते है
बस हम यही फरियाद
उनको भी सताए बस
हर रोज हमारी याद ||